Saturday 25 July 2015

नसबंदी शिविर में 13 मरे, 70 मरणासन्न -- "तो मंत्री क्या करे?" !!


--- यदि हॉस्पिटल 4 माह से बंद था, तो मंत्री क्या करे!
--- यदि ऑपरेशन थिएटर औए औजार संक्रमित थे, तो मंत्री क्या करे!!
--- यदि दवाएं कालातीत थीं, तो मंत्री क्या करे!!!
--- यदि दवाईयों की खरीदी में मंत्री के आदमी ने ही दलाली खाई थी, तो मंत्री क्या करे!!!!
--- यदि सबूत नष्ट करने के लिए दवाईयां पीड़ितों से वापस लेकर जला दी गई, तो मंत्री . क्या करे!!!!!
--- यदि 25 मिनट का ऑपरेशन 2.5 मिनट के औसत से ही कर दिया गया, तो मंत्री . क्या करे!!!!!!
--- मृतकों के शवों को घर ले जाने के लिए यदि हॉस्पिटल ने वाहन नहीं दिए, तो मंत्री . क्या करे!!!!!!!
--- यदि नसबंदी करवाने वाली महिलाओं को 1400 रुपयों की जगह 600 रूपये ही दिए . गए, तो मंत्री क्या करे!!!!!!!!
'' तो मंत्री क्या करे? "-- यह बचाव है मुख्यमंत्री रमन सिंह का, अपने स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के लिए !!....लेकिन फिर भी मोदी के कहने पर उसने अपनी ' नैतिक जिम्मेदारी ' तो स्वीकार कर ली, 4 को निलंबित कर दिया, एक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई -- और क्या चाहिए? जांच समिति तो बन गई -- अब क्या मृत महिलाओं को जिंदा कर दें? 4 लाख रुपयों के ' भारी-भरकम ' मुआवजे की भी घोषणा हो गई -- और क्या करें सरकार??
खामोश, सरकार काम कर रही है. अब आप लोग इतनी भी ' अनैतिकता ' न दिखाएँ कि 'नैतिकता ' के आधार पर मंत्री के इस्तीफे की ही मांग करने लग जाएं. क्या ' आंखफोड़वा' और ' गर्भाशय ' काण्ड के बाद हमारे इस बहादुर मंत्री ने इस्तीफ़ा दिया था?
मौत तो जीवन-चक्र का हिस्सा है. हमारे शास्त्रों में कहा गया है -- शरीर मरता है, आत्मा नहीं. आत्मा अपना चोला बदलकर फिर जनमती है. कृपया मरे हुओं के ' पुनर्जन्म ' का इंतज़ार करें और संघी सरकार को सूचित करें. वह आत्मा के पुनरुद्धार की ख़ुशी में मिठाईयां बांटने का इंतजाम भी करेगी !!

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