Saturday 25 July 2015

जय श्रीराम, हो गया काम


नकली लाल किले से भाषण देते-देते मोदी पहुँच ही गए असली लाल किले पर. सुपरहिट रहा मोदी का भाषण. बजट पर पानी पी-पीकर मोदी-भाजपा को कोसने वालों को सांप सूंघ गया. सबकी बोलती बंद कर दी मोदी ने.
समझ में नहीं आ रहा कि मोदी खुद अपनी नीतियों का मजाक उड़ा रहे थे या फिर ये जन-विरोधी कार्पोरेटपरस्त नीतियां ही हैं, जो उनके 56 इंची मर्दाने सीने पर चढ़कर मूंग दल रही है.
आखिर फासिस्टों के भाषण ऐसे ही होते हैं !--यथार्थ से बिल्कुल अलग--अपनी जन-विरोधी नीतियों के दुष्परिणामों को छिपाते हुए !!--आम जनता को बहलाते हुए !!!
लेकिन अब भारतीय योजना को निर्णायक विदाई दे दी गई है. अब लूट का खेल और भी योजनाबद्ध ढंग से चलेगा. अब न योजना होगी, न उसकी समालोचना और न ही उसे क्रियान्वित करने का झंझट. अब तो ' विकास-विकास ' का शोर होगा और ' भ्रष्टाचार और लूट ' का खेल. अब ये शोर जितना ज्यादा होगा, इस खेल का उत्साह भी उतना ही ज्यादा होगा. अब न आंकड़ों को दिखने का झंझट, न रखने का. योजना आयोग के बाद भी कोई इस झंझट को पालने की कोशिश करेगा, तो ' राम-नाम ' की लूट तो है ही -- वह कब काम आएगी ? इसे ही कहते हैं -- जय श्रीराम, हो गया काम.
भारतीय जनता का काम तमाम होना ही था ! दिन दुगुनी, रात चौगुनी की रफ़्तार से हो रहा है. इस रफ़्तार पर कम्युनिस्ट ही ब्रेक लगा रहे हैं, वरना बीमा में एफडीआइ वाले विधेयक को दुर्दशा के ये दिन न देखने पड़ते ! तब ' कम एंड मेक इन इंडिया ' का उत्साह और कितना ज्यादा होता !!--तब ये सीधा नारा देते -- ' कम एंड सेल इंडिया टू मेक कमीशन ". ये कम्युनिस्ट न खुद खाते है, न बेचने देते हैं --दुनिया के सबसे पिछड़े जीव -- जो आज भी ' समाजवाद-समाजवाद ' चिल्ला रहे हैं. सत्यानाश हो इनका !!!

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