Saturday 25 July 2015

....तो फिर फिलिस्तीनियों के लिए फिलिस्तीन क्यों नहीं?


यदि अमेरिका में रहने वाला अमेरिकी, इंग्लैंड में रहने वाला इंग्लिश और जर्मनी में रहने वाला जर्मन है, तो हिंदुस्तान में रहने वाला हिन्दुस्तानी होगा, न कि हिन्दू. लेकिन संघी गिरोह के प्रधान भागवत सभी भारतीयों और हिन्दुस्तानियों को हिन्दू मनवाने पर तुले हैं.
भाई साहब बड़ी चतुराई से छुपा ले जाते है कि इन सभी देशों में हिन्दुओं सहित सभी धर्मों के लोग रहते है और इनकी नागरिकता धर्म के आधार पर तय नहीं होती.
यदि हिन्दुओं के रहने मात्र से कोई भौगोलिक क्षेत्र हिन्दुस्तान बन जाता, तो इस पृथ्वी पर अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी नहीं रहते. इसी प्रकार मुस्लिमों के रहने मात्र से कोई देश पाकिस्तान बन जाता, तो भारत, इंडोनेशिया और अरब जगत का भी अस्तित्व नहीं रहता.
लेकिन संघी गिरोह का ये तर्क नया नहीं है. ये भारत में हिन्दुओं को छोड़कर किसी भी धर्म के लोगों को रहने नहीं देना चाहते. इनका धर्म-शास्त्र कहता है कि भारत में रहने वाले अल्प-संख्यकों को हिन्दू धर्म की अधीनता मानकर दोयम दर्जे का नागरिक-जीवन बिताना होगा, या फिर इस देश को छोड़कर चले जाना होगा. इसीलिए सिख, जैन व बौद्ध धर्म को भी हिन्दू धर्म का अंग बताने की साजिश चल रही है.
ये शाब्दिक कुतर्क की आड़ में इस देश को 'हिन्दू-राष्ट्र' बनाने का धर्म-युद्ध लड़ रहे हैं 31% वोटों की बदौलत मिले संसदीय बहुमत की ताकत के साथ. भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद देश में जो धार्मिक-तनावों का ताना-बाना बुना जा रहा है, वह इसी घृणित खेल का हिस्सा है. नतीजन देश साम्प्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा है और संघी गिरोह इस आग में आहुतियाँ डाल रहा है.
लेकिन इन ढोंगी राष्ट्रवादियों की तब चड्डीयां गीली हो जाती है, जब उनसे पूछा जाता है कि यदि, अमेरिकीयों के लिए अमेरिका, अंग्रेजों के लिए इंग्लैंड तथा जर्मनी के लिए जर्मन...तो फिर फिलिस्तीनियों के लिए फिलिस्तीन क्यों नहीं होना चाहिए? अपने चिर-परिचित मुस्लिम विरोध के कारण वे एक न्यायपूर्ण संप्रभु फिलिस्तीन राष्ट्र का विरोध कर रहे हैं और ब्रिक्स के सम्मलेन में फिलिस्तीन के पक्ष में जिस प्रस्ताव पर मोदी हस्ताक्षर करके आये थे, संघी गिरोह के इशारे पर उसी भावना का भारतीय संसद में भाजपा ने चीथड़े बिखेर दिए !!

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