Saturday 25 July 2015

भागवत महाराज, धर्म के धंधे से बाहर आओ भाई!!


"जवानों को जवानी जाने से पहले देश को हिन्दू राष्ट्र बना दिया जायेगा. ...हम घुसपैठिया नहीं है. यह हमारा हिन्दू राष्ट्र है. हिन्दू अपनी जमीन नहीं छोड़ेगा. हमने पूर्व में जो खोया है, उसे वापस पाने की कोशिश करेंगे. ...पाकिस्तान भी विभाजन के पहले भारत का हिस्सा रहा है. ...हिन्दू जाग रहा है."
ये क्या अंट-शंट बक रहा है? न इतिहास-बोध, न वर्तमान ज्ञान!! केवल 'हुआं-हुआं' चिल्लाने से तो 'हिन्दू राष्ट्र' बनने से रहा, देखने की बात तो दूर!! इस बेचारे की तो जवानी ही बेकार हो गई.
लेकिन इस बेचारे को यह भी पता नहीं कि आदिकाल से अब तक दुनिया का भूगोल बदलता ही रहा है--कभी सीमाएं स्थायी नहीं रही. कभी आर्यावर्त था, जिसका विस्तार अफगानिस्तान से श्रीलंका तक था--आज कहां हैं? कभी भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश मिलकर हिंदुस्तान बनाते थे--आज कहां हैं? पाकिस्तान भी दो टुकड़े हो गया, तो क्यों??
बेचारा केवल 'हिन्दू-हिन्दू' चिल्लाना ही जानता है, सामान्य समझ से भी इसका कोई लेना-देना नहीं हैं.पाकिस्तान को फिर से भारत में मिलाकर 'हिन्दू राष्ट्र'बनाएगा, तो इस 'काल्पनिक संयुक्त राष्ट्र' की 50 करोड़ गैर-हिन्दू जनता का क्या कत्ले-आम किया जायेगा? या फिर इन्हें इंग्लैंड, अमेरिका, ईरान, इराक में भिजवा दिया जायेगा?? या फिर गोलवरकर के मन्त्र पर अमल किया जायेगा कि इन सभी गैर-हिन्दुओं को नागरिक आधिकारों से वंचित करके हिन्दुओं का गुलाम बना दिया जायेगा?... और ये सभी गैर-हिन्दू चुपचाप सर झुकाकर भागवत महाराज के आदेश को शिरोधार्य कर लेंगे!!
भागवत महाराज, 'हिन्दू-हिन्दू' चिल्लाने से संघी गिरोह को टीआरपी बढ़ सकती है, देश की समस्याओं का हल नहीं निकल सकता. और देश कोई टीवी सीरियल नहीं है कि आप अपनी टीआरपी बढ़ाने का काम करें. ऐतिहासिक सच्चाई तो यही है कि तुम यहां केवल घुसपैठिया हो, आर्य यहां केवल बाहर से ही आये थे, यहां से अनार्यों को तुम्हारे पूर्वजों ने ही भगाया था. ...और वर्त्तमान ऐतिहासिक सच्चाई भी यही है कि आर्य-अनार्य संघर्ष के बाद एक साझा संस्कृति, एक गंगा-जमुनी तहजीब भी विकसित हुई. इस संस्कृति का विकास मेहनतकशों ने किया है, उसका सम्मान करना सीखो, सहिष्णुता और सद्भाव की इस संस्कृति को आगे बढ़ाना सीखो. अपने कंधे पर बैठे 'हिन्दू राष्ट्र के प्रेत' को उतारो, वरना तुम ही नहीं रहोगे, 'हिन्दू राष्ट्र' बनना तो दूर रहा!!
भागवत महाराज, जवानी में दम है तो आधुनिक भारत के 'निर्माता' बनो, 'तुगलक' तो कोई भी बन सकता है!!

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