Saturday 25 July 2015

जब व्यापारी भये मंत्री, तो लूट काहे की ?


छत्तीसगढ़ में भले ही तम्बाकू उत्पादों पर रोक है, लेकिन यह तम्बाकू नहीं, ' गुडाखू ' है. जैसे लोहा, लोहे को काटता है और जहर, जहर को मारता है, वैसे ही सडा गुड़, सड़े तम्बाकू के दुर्गुणों को दूर कर उसे ' संजीवनी ' बनाता है. छत्तीसगढ़ के किसी भी गांव में चले जाइए, मंजन के रूप में गुडाखू के प्रयोग का गुणगान करने वाले मिल जायेंगे. ये लोग बताएँगे कि किस तरह गुड़ाखू दांत में लगे कीड़ों को मारता है या दांत-दर्द निवारण के लिए ' रामबाण औषधि ' है. अब भले ही आपका विज्ञान, वैज्ञानिक शोध और वैज्ञानिक अध्ययन यह कहता रहें कि अन्य राज्यों में मुख-कैंसर के 30% मामलों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में 50% मामले सामने आ रहे हैं, भले ही आप कहें कि प्रदेश की जनसंख्या का 53% और 15 साल से कम उम्र के बच्चों का 28% से अधिक गुड़ाखू की लत का शिकार है, उससे क्या ?
भई हम तो वैज्ञानिक चिंतन पर नहीं, आस्था-चिंतन पर विश्वास रखने वाले लोग हैं. हमारी आस्था तो गुड़ाखू में है. हमारा आस्था-शोध तो यह बताता है कि भगवान राम जब छत्तीसगढ़ में वन-गमन कर रहे थे, तो उन्होंने भी गुड़ाखू का ही उपयोग किया था -- सीता के अपहरण से उपजे अपने दर्द को दबाने के लिए. तो भाईयों, हमारी सरकार की आस्था है कि गुड़ाखू से मुख-कैंसर नहीं फैलता, बल्कि यह तो ' दर्द निवारक संजीवनी ' है. इस प्रदेश के लोगों का दर्द हरने के लिए ही इस प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ' गुड़ाखू उद्योग ' चला रहे हैं. यदि आप में हिम्मत हैं, तो इस ' गुड़ाखू-आस्था ' को चुनौती देकर थोड़ा दिखाएं !!
इसीलिए भाईयों, जब ' रामराज ' में इस पर कोई प्रतिबन्ध नहीं था, तो ' भाजपाई सुराज ' में कैसा प्रतिबंध ? बल्कि हम तो इस ' सुराज ' को ' रामराज ' में बदलने के लिए इसका व्यापक प्रचार करेंगे, इस रामबाण औषधि को घर-घर पहुंचाएंगे. सरकार इसके लिए कृत-संकल्पित है. हमारी सरकार ने इसीलिए गुड़ाखू के कच्चे माल पर केवल 1% टैक्स लगाया है और गुड़ाखू विक्रय पर केवल 14% , जबकि तम्बाकू उत्पादों और पान-मसालों पर 40% तक टैक्स है.
छत्तीसगढ़ में गुड़ाखू का सालाना कारोबार लगभग 4000 करोड़ रुपयों का है. सरकारी खजाने में 40% टैक्स के हिसाब से आता 1600 करोड़ रूपये, लेकिन आ रहा है केवल 560 करोड़ रूपये. 1000 करोड़ रुपयों से ज्यादा कर-छूट इसीलिए दी जा रही है कि स्वास्थ्य मंत्री को प्रोत्साहन मिले कि इस रामबाण दवा को घर-घर पहुँचाने में अपना भरपूर योगदान दें, जिनके परिवार का इस धंधे पर 70% कब्ज़ा है.
एक बात और ध्यान रखें. छत्तीसगढ़ में दवाईयों का कारोबार 3600 करोड़ रुपयों का है, जबकि 5 रूपये वाली गुड़ाखू की डिबिया का कारोबार 4000 करोड़ रुपयों का है. अब आप ही बताइये, दवाई जरूरी कि गुड़ाखू ??!!

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