Sunday 26 July 2015

किसानों की बर्बादी = कंपनियों का मुनाफा


भाजपा के लिए किसान और निजी कम्पनियां एक ही हैं. ठेका खेती की ओर यह पहला कदम है कि निजी बीज कंपनियों से बीज उत्पादन कराया जाएं और इसके लिए सरकार इन कंपनियों को ठीक वाही सुविधाएं देना चाहती है, जिसे देने का दावा वह बीज उत्पादक किसानों के लिए करती है. और यह सभी जानते हैं कि गरीब बीज उत्पादक किसानों को कितनी और कैसी सुविधाएं मिलती हैं.सीधा अर्थ है कि ये सुविधाएं इन किसानों को देने के बजाए, उनसे छीनकर अब यह सुविधाएं निजी कंपनियों को दी जायेगी. सरकारी सुविधाओं से निजी कम्पनियां बीज उत्पादन करेगी, उसे मनमानी कीमत पर बेचेगी औए अपनी तिजोरियां भरेगी. बीज व्यवसाय पर आने वाले दिनों में 'कंपनी राज' स्थापित होने जा रहा है. इससे छत्तीसगढ़ की खेती को विकसित देशों की मर्ज़ी के अनुकूल मोड़ने का भी उन्हें मौका मिलेगा. इस प्रकार, ठेका कृषि का सन्देश स्पष्ट है -- गरीब किसानों की बर्बादी = कंपनियों का मुनाफा. भाजपा की इन्हीं किसान विरोधी नीतियों का नतीजा हैं कि राज्य में उसके 11 सालों के राज में 2000 से ज्यादा किसानों को आत्महत्याएं करनी पड़ी हैं. भुखमरी से मरने की खबरें तो अब आम हो गई हैं.

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