Saturday 25 July 2015

नसीब नहीं, जनता होत बलवान....


दिल्ली के चुनाव नतीजों से स्पष्ट है कि यदि आम जनता साथ छोड़ दें, तो भले ही संघी गिरोह के पास कितना भी मज़बूत संगठन हो, कितना ही चुनाव प्रबंधन का कौशल हो, भले ही कार्पोरेट पैसों की भरमार हो और मीडिया का यशोगान भी....लेकिन कुछ काम नहीं आता.
भाजपा की दुर्गति की यही कहानी है. आम जनता को भड़काने-भरमाने की कितनी कोशिशें नहीं की गई ! मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कितना आग नहीं उगला गया और दंगे आयोजित किये गए !! चर्चों पर भी चुनावी अभियान के दौरान ही हमले जारी रहे. 'रामजादे-हरामजादे" का नारा लगाया गया और हिन्दुओं से 'धर्मरक्षा' के नाम पर चार से दस बच्चे पैदा करने का आह्वान किया गया. मोदी का चेहरा चमकाने ओबामा को लाया गया और अपने ही 'मेक इन इंडिया' के नारे को 'मेड इन यूएसए' बनाने में उन्हें कोई हिचक नहीं हुई. पर सब बेकार....!!! सीएम उम्मीदवार किरण बेदी तो हारी ही और बेचारी अपना कैरियर भी शुरू नहीं कर पाई, भाजपा तो नेता प्रतिपक्ष भी चुन पाने के काबिल नहीं रही. जो हाल लोकसभा में कांग्रेस का, वाही हाल भाजपा का दिल्ली में. जिस दंभ और अहंकार की नींव पर मोदी-भाजपा-संघी गिरोह खड़ा था, भरभराकर गिर पड़ा.
फेंकू महाराज, लच्छेदार भाषण दो और जनविरोधी नीतियां लागू करो, इससे देश और जनता का भला नहीं होने वाला. देश को नेता नहीं, नीतियों की ज़रुरत है, जो आम जनता की बुनियादी समस्याओं को हल कर सकें.
फेंकू महाराज, जनता को जो फुटबाल समझता है, जनता उसे फुटबाल बना देती है. अब भी समझ लो, नसीब बलवान नहीं होता, बलवान होती है जनता.

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