Saturday 25 July 2015

FDI -- First Develop India or Fast Destroy India ?


वे इंडिया को डेवलप करना चाहते हैं और इसके लिए 30 देशों की 300 से ज्यादा ईस्ट इंडिया कंपनी-जैसी कंपनियों को दावत दे रहे हैं. वे उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं कि उनका निवेश यहां सुरक्षित रहेगा. इस दिशा में वे विदेशी निवेशकों को बता रहे है कि उनके रास्ते में आने वाली कानूनी बाधाओं को दूर किया जा रहा है.... और ये कानूनी बाधाएं क्या हैं?
इस देश के श्रम कानून इन निवेशकों के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है. ये श्रम कानून उद्योगपतियों को इसकी इजाज़त नहीं देते कि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी दी जाएँ, कि उनसे निर्धारित 8 घंटों से ज्यादा काम लिया जाये, कि वे जब चाहे तब मजदूरों को काम से निकाल बाहर करें या कि यदि उन्हें कहीं और ज्यादा फायदा दिखें, तो उसी क्षण तालाबंदी कर दें. ये क़ानून मजदूरों को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हड़ताल पर जाने या काम बंद करने का भी अधिकार सीमित अधिकार देते हैं.
उनकी नज़रों में मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले ये तमाम कानून निवेश के रास्ते में आने वाली बाधाएं हैं. कार्पोरेटी मोदी इन सबको बदलने में तुले हुए है और राजस्थान की भाजपाई सरकार ने इसकी शुरूआत भी कर दी है. मजदूरों को उनके अधिकारों से वंचित करने को ही वे ' व्यवसाय-अनुकूल माहौल ' (business-friendly environment) बता रहे हैं.
विदेशी निवेशक खुश हैं. इतनी उदार तो उनके अपने देशों की सरकारें भी नहीं है. इसीलिये मोदी सरकार उनके लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सरकार है, जो उनके लिए रेड कार्पेट बिछाने के लिए बिछी-बिछी जा रही है. ' अबकी बार--मोदी सरकार ' पर उनका दांव गलत नहीं था, जो इतनी तेजी से कांग्रेस के अधूरे एजेंडे को पूरा करने की उतावली में है.
यही है ' मेक इन इंडिया ' की असलियत ! ये इंडिया धनकुबेरों का इंडिया है, इंडिया की प्रोगेस इन्हीं धनकुबेरों की तिजोरियों को भरकर हो सकती है. लेकिन इस प्रोग्रेस में आम जनता के लिए वादों और दावों के सिवा हकीकत में कुछ नहीं हैं : न रोजगार, न बेहतरी.
विश्व बैंक की हाल की रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया में आर्थिक संकट बढेगा और इसके कारण रोजगार घटेंगे. लेकिन मोदी है कि देश के बेरोजगारों को रोजगार देने का झुनझुना पकड़ा रहे हैं. वैश्वीकरण की जिन नीतियों पर इतने सालों से अमल हो रहा है, उसने देश की जनता की तकलीफों को बढ़ाया ही है. अब मोदी ही जानें कि इन नीतियों पर और तेज़ अमल से देश की आम जनता समस्याओं से कैसे निजात पा सकती हैं ! स्पष्ट है कि ' मेक इन इंडिया ' की एफडीआइ तो पूंजीपतियों को मालामाल करेगी और गरीबों के लिए 'फ़ास्ट डिस्ट्रॉय इंडिया ' ही लाएगी.
ये कथित राष्ट्रभक्तों की एफडीआइ है दोस्तों !! इस पर कृपया शक न करें.

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