Sunday 9 August 2015

ऐसे फलता-फूलता है पूंजीवाद...

इस देश में डॉलर अरबपतियों (जिनकी संपत्ति 60 अरब रुपयों से ज्यादा है) की संख्या 100 से ऊपर हो गई है. पिछले वर्ष 100 सबसे धनी लोगों की सम्मिलित संपत्ति 259 अरब डॉलर थी, जो इस वर्ष बढ़कर 346 अरब डॉलर हो गई---याने इनकी संपत्ति में एक ही वर्ष में 33.6 % की बढ़ोतरी हुई है.
हमारे देश में 80% से ज्यादा असंगठित शेत्र में काम करने वाले लोग हैं. इनकी रोजी-रोटी और न्यूनतम वेतन का कोई ठिकाना नहीं है. महंगाई लगातार बढ़ती रहती है और उनका जीवन-स्तर गिरता रहता है. अपने आपको बचाए-बनाए रखने में ही इनकी ज़िन्दगी गुज़र जाति है. क्या इन लोगों की औसत आय में भी ऐसी ही वृद्धि हुई है ? यदि नहीं, तो क्यों ??
स्पष्ट है कि ये 80% लोग अपनी मेहनत से जो दौलत पैदा करते हैं, वह इन धनकुबेरों की तिजोरियों में ही कैद हो जाती है और मेहनतकश को जीने के भी लाले पड़े रहते हैं. मेहनतकशों के श्रम की चोरी से ही धनकुबेरों की तिजोरियों की बरकत होती है.
मार्क्स ने इसे ही 'अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत' कहा है. इस 'अतिरिक्त मूल्य' को हड़पकर ही पूंजीवाद फलता-फूलता है.

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