Sunday 9 August 2015

इजराइल समर्थक कृपया फेसबुक-मित्रता वापस ले लें


आज राजकिशोर उपाध्याय जी ने अपनी फेसबुक-मित्रता वापस ले ली , उनको कोटिश: धन्यवाद . मेरी दिलचस्पी ऐसे किसी भी व्यक्ति से मित्रता बनाए रखने में नहीं है , जो इजराइल समर्थक है और बेक़सूर नागरिकों की हत्याओं का समर्थन करता है . भारत में ऐसे नस्लवादी सोच के लोगों की चड्डीयां साफ़-साफ़ दिख रही है , भले ही वे अपने कुतर्कों को राष्ट्रवाद की चाशनी में लपेटकर पेश करें . इस संघी गिरोह का कथित राष्ट्रवाद भी किसी से छुपा नहीं है .
फिलिस्तीन हमारा स्वाभाविक मित्र रहा है , न कि इजराइल . फिलिस्तीन की धरती पर अतिक्रमण इजराइल ने किया है , न कि इजराइल की धरती पर फिलिस्तीन ने. ये अतिक्रमण इतना हमलावर है कि वर्तमान फिलिस्तीन मूल का एक छोटा-सा टुकड़ा भर रह गया है . इसे भी इजराइल हड़प करना चाहता है और इसीलिए अमेरिका के पूरे समर्थन से फिलिस्तीन पर इजराइल तबाही बरपा रहा है, हजारों बच्चों और महिलाओं का कत्ले-आम कर रहा है. इजराइल की बर्बरता की विश्व-समुदाय ने पहले भी निंदा की थी , आज भी यह निंदनीय है.
हमारे देश की आम जनता के पास साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ने की समृद्ध विरासत है . हम फिलिस्तीन पर हो रहे हमले के पीछे साम्राज्यवादी हाथ को आसानी से देख सकते है . जिन्होंने अपने जन्म के बाद केवल अंग्रेजों की चमचागिरी की है , जिनके पास आजादी के आन्दोलन की कोई गौरवशाली परंपरा नहीं है , केवल उन्हीं के लिए साम्राज्यवाद की मौजूदगी कोई मायने नहीं रखती और ऐसे लोग अपनी तमाम राष्ट्रवादी लफ्फाजी के बावजूद न भारतीय जनता के हो सकते हैं और न पीड़ित फिलिस्तीन के .
यह फैसला लेने का समय है कि आप विश्व भर के तमाम शोषित-उत्पीडित लोगों के साथ है या उन्हें निर्ममता से कुचलने और उनका शोषण करने वालों के साथ ? मेरा फैसला स्पष्ट है . ...और इसीलिए , जो संघी गिरोह के साथ है और इजराइल के समर्थक है , वे मुझसे फेसबुक मित्रता त्याग दें , तो मुझे ख़ुशी होगी .
फिलिस्तीन के समर्थन में लगे गई अपनी पोस्ट पर उपाध्यायजी से जो बहस हुई है , उसको मैं यहां पेस्ट कर रहा हूं .

Rajkishore Upadhyay क्या 26/11 के मुंबई हमले में एक यहूदी परिवार को तबाह किया गया था वह कसूरवार था ....पाकिस्तानी गले काट ले जाते हैं क्या वो कसूरवार होता है जवान..आज एक जवान मारा गया पाकिस्तनी द्वार क्या वोोोो कसूर वार है और आमेरिका पाकिस्तान में घुस के किसी को मारता है तो ..अगर किन्हीं दो लोगों में जंग है तो वो मौका नहीं छोड़ते..इन्ही फिलिस्तीनों ने यहूदी खलाड़ियों की हत्या कीथी बदले में इसरायल ने वाजिब कार्रवाई भ की ....अपने ही देश में कश्मीरी पंढित दर बदर कर दिये गये...सरबजीत को पाकिस्तान में मार दिया गया..फिर आज की तारीख में इजरायल-फिलिस्तानी दोनों मिक्त्र हैं ..दोनों को समझाया जा सकता है पर किसी एक को गोद नहीं लिया जा सकता..
Sanjay Parate उपाध्यायजी, आप अपना स्टैंड बता रहे हैं या संघ-मोदी की सोच ? मोदी ने ब्रिक्स सम्मलेन में जिस वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये हैं, उसे ही पढ़ लें . धिक्कार हैं निर्दोष नागरिकों को आतंकी बताने और उनकी हत्या को जायज़ ठहराने पर ......और मैं शर्मिंदा हूं आपके फेसबुक-मित्र होने पर.
Rajkishore Upadhyay आप अपनी मित्रता वापस लेकर शर्मिंदगी से बचें..अपना आकलन हैं और जो रिस्ता भारत-पाकिस्तान का है वही फिलिस्तीन और इसरायल का है .भारत में वो इच्छा शक्ति नही कि अपने निर्दोष बंदों के हितों की रक्षा कर सके और पड़ोस के आतंकवाद का प्रतिवाद कर सके तो दाउद और हाफिज सईद को सम्मान से रखने वाले कोवार्ता के लिये बुलाता है विरयानी खिलाता है..और मेरा और मोदी काी क्या तुलना..वो मतपत्रों के जरिये सत्ता पर काबिज हुआ है और मैं मात्र मतदाता हूं जिसके लिये अपने देश की घटनायें, मँहगाई, महिला सुरक्षा, बाल शोषण वगैरह जादा जरूरी है बजाय इसके कि बाहर क्या हो रहा है, वो सरकार और संसद में बैठे लोगों का मसला है
Sanjay Parate आप चाहे तो वापस ले लें ....लेकिन मैं चाहता हूँ कि बाकि मित्र भी देखें-समझें कि दुनियां ऐसे लोगों से भी भरी पड़ी हैं, जो इंसानियत के दुश्मनों के पक्ष में खड़े होने में हिचक महसूस नहीं करती.

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