Sunday 9 August 2015

क्या एनकाउंटर करना तुम्हारे विकास का एजेंडा है?

' क्या सत्ताधारी नीति-निर्माता संविधान के दर्शन, मूल्यों और सीमाओं से निर्देशित हो रहे हैं ?'' --- यही सवाल था सलवा-जुडूम मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने. इस सवाल की विवेचना करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने साफ़ किया था कि नक्सलवादियों द्वारा पुलिस बलों पर हमले तथा मानवाधिकार हनन की आड़ में सरकार को मानवाधिकारों के उल्लंघन का अधिकार नहीं मिल जाता.सरकार एक संवैधानिक सत्ता है, उस पर संविधान के अनुच्छेद 14 -क़ानून के समक्ष समानता और अनुच्छेद 21 -मानव जीवन की गरिमा की रक्षा करने की जिम्मेदारी है और कोई सरकार इसका उल्लंघन नहीं कर सकती.
इसका यह भी अर्थ है कि यदि कोई सरकार इसका उल्लंघन करती है, तो वह संविधान का पालन नहीं कर रही है और ऐसी सरकार को सत्ता में बने रहने का एक मिनट भी हक़ नहीं है.
मोदी और राजनाथ सिंह, सुन रहे हो सुप्रीम कोर्ट को?....क्या एनकाउंटर करना तुम्हारे विकास का एजेंडा है?

अरे आंतकवादियों का एनकाउंटर करने वालों, तुम्हारा एजेंडा अब सबके सामने है. आतंकवाद से लड़ने की चाहत है, तो पहले असीमानंद और प्रज्ञा ठाकुर का एनकाउंटर करो, जो समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव बम धमाकों के आरोपी हैं. हिम्मत है, तो बाबू बजरंगी और अमित शाह का पहले एनकाउंटर करो, जो गुजरात दंगों के आरोपी हैं. गुजरात के उन अफसरों का एनकाउंटर करके बताओ, जिन्होंने अल्पसंख्यकों के बीच आतंक फ़ैलाने के लिए उनकी बेरहमी से हत्याएं की है और जिनके खिलाफ आज मुकदमें चल रहे है....है हिम्मत भगवा आतंकवादियों का एनकाउंटर करने की ?

यदि ये हिम्मत नहीं है, तो सब जानते हैं कि तुम किसका एनकाउंटर करना चाहते हो ? आतंकवादियों और माओवादियों के नाम पर तुम उन निरीह आदिवासियों को मारना चाहते हो, जो टाटा-बिडला-अंबानी के लिए अपनी जमीनें छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. उन राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर तुम गोली चलाना जायज ठहराना चाहते हो, जो उत्पीडित तबके को संगठित कर रहे हैं. तुम उन मुस्लिम अल्पसंख्यकों का गुजरात-जैसा एनकाउंटर करना चाहते हो, जिनके प्रति तुम घृणा से भरे हुए हो. तुम्हारी गोली उन लोगों पर चलने वाली है, जो देश बेचने वाली तुम्हारी वैश्वीकरण-उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर लड़ रहे है.

अमेरिका का मानना है, " जो मेरे साथ नहीं है, वो आतंकवादी है." उसी तर्ज़ पर तुम बताना चाहते हो--" जो संघी गिरोह के साथ नहीं है, वो आतंकवादी और माओवादी है." तो याद रखो, हम ये साफ़ बताना चाहते हैं कि हम न आतंकवादी है और न माओवादी. हम वो जुझारू लोग है, जो तुम्हारे भेड़िये राज के खिलाफ अंत तक लड़ेंगे और इस लड़ाई को तुम्हारी गोलियां कुचल नहीं सकती. कार्पोरेटों के तलुआचाटुओं, जब तक इस देश में संसदीय लोकतंत्र है, तानाशाह बनने का तुम्हारा सपना पूरा नहीं होने वाला और ना ही ये देश ' हिन्दू-राष्ट्र' बन पायेगा, चाहे तुम कितनी भी उछलकूद क्यों ना मचा लो.

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