Wednesday 18 November 2015

हाय रे बिहार की जनता, तेरी क्षय हो !!


अब लोगों को 'जंगल राज' ही चाहिए, तो हम क्या करें? उन्हें तो जंगल राज के साथ ही 'तंत्र-मंत्र' राज भी चाहिए था !! हमारे मोदीजी बहुत बड़े 'मैजिशियन' है. उन्होंने तो ओबामा साहब तक पर अपने जादू का डंडा चलाकर अपने वश में कर रखा है. उनके पास तो सबसे बड़ा वशीकरण मंत्र है. नीतीश का तंत्र-मंत्र उनके सामने क्या लगता है !! लेकिन लोगों को जंगल राज कहां से देते?? सो बेचारे मोदीजी, लोकतंत्र के पुजारी !! मारे गए नीतीश-लालू के हाथों.
हमें सत्ता नहीं चाहिए, लोकतंत्र चाहिए. सारे देश में मोदीजी का जादू चल गया, तो क्या बिहार में न चलता !! मोदीजी के अघोरी तंत्र-मंत्र के सामने नीतीश का तंत्र-मंत्र पानी भरता दिखता. पर हाय रे तकदीर, लोगों को तो जंगल राज चाहिए था, वो मोदीजी कहां से लाते?? जनता उनसे हिटलर राज मांगती, तो ला देते. मांगती संघी राज, तो बाएं हाथ का काम था. भ्रष्टाचार राज भी मांगती, तो कोई बात नहीं थी. रमन राज ला देते, शवराज-राज ला देते, कोई मांगता तो सही उनसे !! लेकिन लोकतंत्र में जंगल-राज !?? ये मोदी नहीं, लालू-नीतीश के बस की ही बात हो सकती है.
कितना समझाया लोगों को कि विकास मांगो. विकास के लिए गाय का दूध-मूत्र पीओ. लेकिन जनता को तो गाय का मांस ही चाहिए था, जंगल-राज में खून का जो टेस्ट उसके मुंह में लग गया होगा. हमने कितना समझाया, गाय का मूत पीओ, स्वस्थ्य रहो. कैंसर जैसी बीमारी तक मूत से दूर भागती है. लेकिन पलटकर पूछने लगी, तो फिर दूध किसके लिए !! हमको दूध भी नहीं, और मांस भी नहीं. ये सब लालू-नीतीश का दुष्प्रचार था. इनसे मोदीजी का दूध पीकर स्वस्थ्य रहना भी नहीं देखा जाता. कितना समझाया कि धर्म की रक्षा करो. कितना पापड़ नहीं बेला हमने, इसे समझाने के लिए. जरूरत पड़ी, तो खुद ही गाय का मांस मंदिरों में डलवाते रहे, लेकिन अधार्मिकों को न जागना था, न जगे. आखिर तक बेहोश ही रहे और लालू-नीतीश को वोट कर आये. अब जिनकी किस्मत में जंगल-राज ही लिखा था, उनको मोदी-राज की पहचान कहां से होती?
हमने कहा, पढ़ाई-दवाई, तो उन्होंने सुना खवाई. फिर तो पूरे महीने दाल-गेहूं-शक्कर का भाव ही पूछते रहे और हमें दाल-आटे का भाव ही याद दिलाते रहे. हमने उन्हें याद दिलाया, फलानां तुम्हारा दुश्मन, तो 'असहिष्णुता-असहिष्णुता' चिल्ला-चिल्लाकर नाक में दम किये रहे. इतना चिल्लाया कि सब लोग अपने तुच्छ पुरस्कार लौटाकर मीडिया में अपना नाम छपवाते रहे. हमने ऐसे लोगों को पाकिस्तान में बसने के लिए कहा, तो इस मूर्ख जनता ने हमें ही 'बिहार-निकाला' दे दिया.
हाय रे बिहार की जनता, तेरी क्षय हो. तूने ही अडवाणी का रथ रोका था और आज फिर तूने मोदी के हवन कुंड में पानी डालने का काम किया है !!

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