Wednesday 18 November 2015

हिन्दू आबादी बढ़ाने के लिए संघी गिरोह को कुछ सुझाव


संघी गिरोह हिन्दुओं की आबादी घटने से चिंतित है. उन्हें हिन्दुओं के अल्पसंख्यक हो जाने का खतरा सता रहा है. लेकिन हिन्दुओं में भी एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो इस वास्तविक खतरे को ‘भ्रम’ बताकर अल्पसंख्यकों के साथ ‘राष्ट्रविरोधी’ कार्यों में लिप्त है. इन राष्ट्रविरोधियों की पहचान ‘सेक्युलरों’ के रूप में होती है. तो ऐसी स्थिति में, ‘संघी’ हिन्दुओं को ही हिन्दुओं की आबादी बढ़ाने में तो अपना योगदान देने का बीड़ा उठाना ही चाहिए. इसके लिए विनम्रतापूर्वक कुछ सुझाव पेश हैं :
–1. संघी प्रचारक अपने ‘अविवाहित’ रहने का व्रत तोड़ें. सबको मालूम है कि वे ‘अविवाहित’ तो रहते हैं, लेकिन ‘ब्रह्मचर्यत्व’ का पालन नहीं कर पाते. इसलिए वे सब विवाह करें, ‘वीडियो कांड’ की बदनामी से बचें और संघी गिरोह के पूर्व प्रधान सुदर्शन महाराज के सुझाव के अनुसार 5 से 16 बच्चे पैदा कर हिन्दुओं को ‘लुप्त’ होने से बचाने में अपना योगदान दें.
–2. प्रेरणास्वरूप इसकी शुरुआत उच्च स्तर से ही होना चाहिए. इसलिए फेंकू महाराज अपनी पत्नी को साथ रखें और इस पुनीत काम में निःस्वार्थ ढंग से हाथ बंटाएं. यदि ऐसी प्रेरणा स्वयं सरसंघचालक दे सकें, तो सोने में सुहागा.
–3. दहेज़ के कारण लाखों हिन्दू लड़कियां घर बैठी हुई हैं. लिंग-भेद के कारण कन्या भ्रूण हत्या हो रही है. 23 लाख वेश्याएं नारकीय जीवन देश में गुजार रही हैं. देश में 4 करोड़ से ज्यादा विधवाएं हैं, जो घर और बाहर लांछित जीवन जी रही हैं. संघ को समाज-सुधार की मुहिम छेड़ना चाहिए और अपने भक्तों को निर्देशित करना चाहिए कि इन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाए और संतति-वृद्धि में योगदान देकर हिन्दू समाज के बहुमत को बनाए रखे. इस काम के लिए संघ उन तमाम ‘देवों’ का उदाहरण भी सामने रख सकता है, जिनकी हजारों ‘देवियां’ होती थीं.
–4. भारत में स्वास्थ्य की स्थिति काफी खराब है और इसके शिकार अधिकांशतः महिलायें और बच्चियां ही हो रही हैं. माताओं और बच्चों की मृत्यु दर इसी कारण विश्व औसत से काफी ऊपर है तथा मानव विकास सूचकांक में हम काफी नीचे. किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं और इनमें भारी तादाद हिन्दू महिलाओं की भी है. रोजगार का अभाव आम हिन्दुओं के आर्थिक पिछड़ेपन को और आगे बढाता है. यह स्थिति संघी सरकार की उन नीतियों के कारण है, जिसका लक्ष्य केवल धनकुबेरों का ही विकास है. संघ नेतृत्व इन नीतियों को बदलवाएं, ताकि आम हिन्दू स्वस्थ्य रहे तथा वे और ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए सक्षम रहें.
संघी गिरोह के सभी कार्यकर्ताओं से इन सुझावों पर बहुमूल्य तार्किक विचार आमंत्रित हैं. कृपया गाली-गलौज करके अपनी असभ्य संघी संस्कृति’ का परिचय न दें.

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